Monday 27 April 2015

dil ki in baton ko - poem - Kanu Butani

दिल की इन बातों को यूं हसके न टाल दो
हर बात गहरी बड़ी इनको अपना भी ताल दो

अखियों का आपसमें बात करना , बस यहीं चलने दो
लबों की हर बातों को अखियूं की बाषा में मिलने दो

नाज़ों से अपने प्यार को इस दिल में मुझे रखने दो
अपने प्यार के रंग को जी भरके आज मुझे देखने दो

फिर न कोई गिला न कोई शिकवा आपसमें बढ़ने दो
तुम भी कुछ सह लो और मुझे भी कुछ सह लेने दो

चाहत में दिल की बात चहेरे पे साफ़ नज़र आती है, तोह आने दो
हम है प्यार के शहज़ादे तो चलता है सारी दुनिया को यह जानने दो 

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